नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री कैसे बन सकते है ( Prime Minister Narendra Modi )
इस ब्लॉग में हम नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री कैसे बनेंगे या फिर किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को लोकसभा में बहुमत न मिले तो क्या होगा ? ऐसी स्थिति में भारत के राष्ट्रपति क्या करते हैं ? और भारत के राष्ट्रपति के पास कौन-कौन से विशेष अधिकार होते हैं ? तो चलिए शुरू करते हैं Blog को.
जैसे हम सभी को पता है कि, भारत एक लोकतांत्रिक देश है. लोकतांत्रिक देश का काम लोगों के द्वारा चुने गए सांसद सदस्य करते हैं. हाल ही में भारत की 18वीं जनरल लोकसभा इलेक्शन हो गई ह. इस लोकसभा इलेक्शन में किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. पूर्ण बहुमत 273 सदस्य का है. बहुमत कहते हैं लोकसभा के कुल संख्याओं का 50% जो आता है( 273) . लोकसभा की 18वीं जनरल इलेक्शन में किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को 273 सदस्य नहीं मिले या ने किसी भी पॉलीटिकल पार्टी के 273 खासदार चुनकर नहीं आए. इसका मतलब यह होता है. कि कोई भी पॉलीटिकल पार्टी गवर्नमेंट बना नहीं सकती, क्योंकि गवर्नमेंट बनाने के लिए 273 सदस्य जरूरत होती है.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति:- ( Appointment of Prime Minister )
प्रधानमंत्री के चयन के लिए भारत के संविधान में कुछ स्पेशल प्रोविजन नहीं बताए गए हैं। सिर्फ इतना कहा गया है आर्टिकल 75 के तहत की भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की चयन करेंगे। यानी नियुक्ति करेंगे। मगर इसका अर्थ यह नहीं होता है . कि भारत के राष्ट्रपति किसी को भी प्रधानमंत्री बना दे।
प्रधानमंत्री बनाने के लिए संसदीय शासन प्रणाली में कुछ संकेत होते हैं. जिनको फॉलो करना काफी जरूरी होता है। प्रस्थापित संकेत के हिसाब से भारत के राष्ट्रपति लोकसभा के इलेक्शन में जीस पॉलीटिकल पार्टी के सबसे ज्यादा सदस्य यानी 273 सदस्यों चुन कर आते हैं। उस पॉलीटिकल पार्टी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कहते हैं. ऐसी स्थिति में जिस पॉलीटिकल पार्टी को 273 सदस्य का बहुमत मिलता है. वह पॉलीटिकल पार्टी राष्ट्रपति से आवेदन करती है कि वह भारत की सरकार ( यानी भारत में प्रधानमंत्री पद के ) लिए दावेदार है।
मगर किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को 273 सदस्य का बहुमत नहीं मिलता . तो ऐसी स्थिति में भारत के राष्ट्रपति के पास कुछ अधिकार होते हैं. उन अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं।इस तरह नरेंद मोदी भारत के प्रधानमंत्री कैसे बनेंगे.
राष्ट्रपति के अधिकार:- Power of President
जब लोकसभा चुनाव में किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो ऐसी स्थिति में भारत के राष्ट्रपति लोकसभा के सबसे बड़े पॉलीटिकल पार्टी को या अलायंस के नेता को प्रधानमंत्री की शपथ देते हैं और उस प्रधानमंत्री को एक महीने के भीतर लोकसभा में वोट आफ कॉन्फिडेंस लेने के लिए कहा जाता है।अगर वह प्रधानमंत्री वोट of कॉन्फिडेंस जीत जाता है तो वह प्रधानमंत्री के लिए कंसिस्ट रहता है।
इस तरह के अधिकार का इस्तेमाल सबसे पहले भारत के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी सन 1979 में चरण सिंह जी को प्रधानमंत्री बनाया था।वह एक Alliance के नेता थे।
18वीं लोकसभा इलेक्शन में भारत के राष्ट्रपति इस अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री पद के लिए क्या जरूरी है? Criteria For Prime Minister Post
1. वह व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए।
2. उसकी उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए।
3. वह लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति लोकसभा या राज्यसभा दोनों का भी सदस्य नहीं है. तो ऐसी स्थिति मे वह भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है . मगर उसे लोकसभा या राज्यसभा में उसे 6 महीने के अंदर चुनकर जाना पड़ेगा.
शपथ :
भारत के राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री को Oath याने शपथ दिलाते हैं।
कार्यकाल : ( Tenure ) :
प्रधानमंत्री पद के लिए कोई कार्यकाल निश्चित नहीं है. जब तक प्रधानमंत्री के पीछे लोकसभा में बहुमत होता है. तब तक वह प्रधानमंत्री रह सकता है. अगर बहुमत नहीं होता है तो बाद उसे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
तो दोस्तों यहथी कुछ इनफॉरमेशन भारत के प्रधानमंत्री के बारे. में उम्मीद करता हूं। आपको मेरा Blog पसंद आया होगा। Blog को पढ़ने के लिए धन्यवाद!